भारत को सोने की चिड़िया(sone ki chidiya) कहे जाने के कारण:-
भारत को ये नाम कई वजहों से मिला हुआ था. उस दौर में भारत के राजाओं के पास काफी धन और संपत्ति हुआ करती थी. वहीं भारत में मसालें, कपास और लोहा काफी अच्छी मात्रा में पाए जाते थे और इन चीजों को अन्य देश के लोगों द्वारा खरीदा जाता था. इसके अलावा उस समय भात की जीडीपी भी काफी अच्छी हुई करती थी. वहीं भारत को सोने की चिड़िया कहे जाने के अन्य कारणों को नीचे बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:-

कोहिनूर हीरा (Kohinoor Diamond History ):-
ये हीरा 5000 साल पुराना था. कोहिनूर हीरे का जिक्र आप लोगों ने कई बार सुना होगा. आपको पता ही होगा कि ये हीरा भारत के पास हुआ करता था, जिसके बाद ये हीरा कई लोगों के हाथों से गुजरते हुए, आज इंग्लैंड की रानी के ताज की शान बढ़ा रहा है. उस समय पूरे विश्व में इस हीरे का आकार सबसे बड़ा हुआ करता था.
- खुद की थी अपनी मुद्रा (State Bank of Hyderabad origen):-
उस्मान अली खान के पास अपनी खुद की मुद्रा भी थी, जो कि हैदराबाद में चलती थी. उस मुद्रा को उस्मानिया सिक्का कहा जाता था. इसके अलावा स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद उनके शासान के काल में ही खोला गया था.
- उज्जैन के राजा विक्रमादित्य(King vikramaditya):-
वे महान राजा थे जिन्होंने भारत को सोने की चिड़िया(sone ki chidiya) का ख़िताब दिया था| उनके राज में भारत का कपड़ा विदेशी व्यापारी सोने के वजन से खरीदते थे|
- भारत के राजाओं की मेहनत
भारत के महान शासकों ने अपने शासनकाल में अपने-अपने राज्य की तरक्की के लिए कई कार्य किए थे, जिससे की उनका राज्य हमेशा से धनी रहा करता था. कहा जाता है कि मुगल शासन के दौरान देश की आय ब्रिटेन के पूरे राजकोष से भी बड़ी थी. इसके अलावा भारत में ही सबसे पहले वस्तु विनिमय प्रणाली चलती थी. भारत कई चीजों का आयात और निर्यात भी किया करता था.
अंग्रेजों और दूसरे देश के राजाओं द्वारा लूट लिया गया था और जिसके कारण हमारे देश को काफी हानि हुई थी. अगर भारत में इन लोगों द्वारा शासन
नहीं किया जाता, तो शायद आज हम ये कहे सकते थे की भारत एक सोने की चिड़िय़ा(sone ki chidiya) है. लेकिन समय के साथ-साथ भारत का स्थानदुनिया में कम होता चला गया और ये सवाल पीछे छोड़ गया की भारत को सोने की चिड़िया क्यों कहा जाता था.
- भारत जोकि कृषि-प्रधान देश
भारत जोकि कृषि-प्रधान देश हमेशा से रहा है, इसे उस वक़्त किसी भी चीज़ की कमी नहीं थी| जो भी लागत से अधिक सामान होता था वो बाहर के देशो में बेच दिया जाता था| इसके अलावा भारत में खनिज की खदानें मौजूद थीं| जिससे हथियार, सिक्के आदि बनाने में मदद मिलती थी|